कहते हैं कि जब हालात सबसे खराब होते हैं, तब इंसान का असली इरादा सामने आता है। कुछ ऐसा ही किया राजस्थान के छोटे से गांव के रहने वाले रवि शर्मा ने। जब जेब में पैसे नहीं थे, बैंक अकाउंट खाली था और घर की हालत तंग थी, तब उन्होंने हार मानने की जगह हिम्मत दिखाई। सरकार की एक योजना (Scheme) से मिले पैसों से उन्होंने ऐसा बिजनेस (Business) खड़ा किया कि आज पूरे इलाके में उनके नाम की चर्चा है। रवि की कहानी उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है जो सोचते हैं कि बिना पैसे कुछ नहीं हो सकता।
हिम्मत नहीं टूटी, हालात से सीखा सबक
रवि शर्मा एक सामान्य परिवार से आते हैं। उनके पिता खेती करते थे, लेकिन दो साल तक लगातार बारिश खराब रही और फसलें बर्बाद हो गईं। धीरे-धीरे कर्ज बढ़ता गया और बैंक ने भी लोन देने से मना कर दिया। रवि ने कई बार नौकरी की तलाश की, पर कहीं सफलता नहीं मिली। आखिरकार उन्होंने तय किया कि अब अपने दम पर कुछ करना ही पड़ेगा। इसी दौरान उन्हें प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) के बारे में पता चला, जिसके तहत सरकार छोटे उद्योग शुरू करने के लिए आर्थिक सहायता देती है।
रवि ने आवेदन किया और उन्हें ₹2 लाख का लोन मिला। बस, यही से शुरू हुआ उनकी किस्मत बदलने का सफर।
सरकार की मदद से शुरू किया ‘इको फ्रेंडली प्रोडक्ट’ का बिजनेस
रवि ने समझदारी दिखाते हुए ऐसा काम चुना जिसकी मांग आने वाले सालों में और बढ़ने वाली है। उन्होंने बांस (Bamboo) से बने इको फ्रेंडली प्रोडक्ट (Eco Friendly Product) बनाने का बिजनेस शुरू किया। शुरू में उन्होंने घर के एक कमरे में काम किया। बांस से चम्मच, प्लेट, टूथब्रश और स्ट्रॉ बनाकर उन्होंने लोकल मार्केट में बेचना शुरू किया। धीरे-धीरे उनके प्रोडक्ट की मांग बढ़ने लगी।
लोगों को उनका काम पसंद आया क्योंकि ये चीजें सस्ती भी थीं और प्लास्टिक के मुकाबले बेहतर भी। आज रवि हर महीने ₹1 लाख से ज्यादा की कमाई (Income) कर रहे हैं और 6 लोगों को रोजगार (Local Job) भी दे चुके हैं।
कैसे होती है कमाई और खर्च
शुरुआती दिनों में रवि को लग रहा था कि खर्च ज्यादा है, पर जैसे-जैसे ऑर्डर आने लगे, उनका मुनाफा बढ़ता गया। नीचे दी गई तालिका में उनके बिजनेस का छोटा सा हिसाब दिया गया है –
विवरण | अनुमानित राशि (रुपये में) |
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शुरुआती निवेश (Investment) | ₹2,00,000 |
हर महीने का खर्च | ₹45,000 |
हर महीने की बिक्री | ₹1,20,000 |
शुद्ध मुनाफा | ₹75,000 |
रवि कहते हैं कि ये सब सरकार की मदद से ही संभव हुआ। अगर उन्होंने उस दिन आवेदन न किया होता, तो शायद आज भी बेरोजगार घूम रहे होते।
अब दूसरे युवाओं को भी दे रहे हैं प्रशिक्षण
रवि अब केवल पैसे कमाने पर नहीं, बल्कि दूसरों को भी सिखाने पर ध्यान दे रहे हैं। वे गांव के बेरोजगार युवाओं को यह सिखाते हैं कि कैसे कम पूंजी में खुद का बिजनेस शुरू किया जा सकता है। उनकी सोच है कि अगर हर युवा अपने स्तर पर कुछ छोटा काम शुरू करे, तो गांव की बेरोजगारी खुद खत्म हो जाएगी।
वे बताते हैं कि सरकार की योजनाओं में पारदर्शिता बढ़ी है और सही तरीके से आवेदन करने पर हर किसी को मौका मिलता है। बस ज़रूरत है हिम्मत रखने की और कदम आगे बढ़ाने की।
सीख जो हर इंसान को समझनी चाहिए
रवि शर्मा की कहानी यह सिखाती है कि बैंक अकाउंट खाली हो या जेब में पैसा न हो, इंसान अगर ठान ले तो कुछ भी असंभव नहीं है। उन्होंने दिखा दिया कि बिना बड़े इन्वेस्टमेंट (Investment) और बिना किसी खास डिग्री के भी बड़ी कमाई (Income) की जा सकती है।
आज उनके उत्पाद शहरों तक पहुंच रहे हैं और कई कंपनियां उनसे सप्लाई ले रही हैं। रवि का कहना है, “अगर मन में विश्वास हो तो सरकारी योजनाएं आपके सपनों को हकीकत बना सकती हैं।”
निष्कर्ष
किसी भी बिजनेस (Business) की शुरुआत सिर्फ पैसों से नहीं होती, बल्कि हिम्मत, सोच और मेहनत से होती है। रवि शर्मा की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए सबक है जो असफलता से डरकर पीछे हट जाता है। अगर उन्होंने हार मान ली होती तो आज वो भीड़ में एक चेहरा होते, लेकिन आज वो गांव के युवाओं की प्रेरणा हैं।
डिस्क्लेमर: किसी भी सरकारी योजना या बिजनेस (Business) में निवेश (Investment) करने से पहले संबंधित विभाग या विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।